आप का आदर करूँ, सम्मान करूँ, सत्कार करूँ
आपकी हर बात मानूँ, क्यूंकि आप मुझ से बड़े हैं
जिस दरवाज़े पर मैंने आज दस्तक दी है
आप भी बरसों से उसके बाहर खड़े हैं
मुझसे ज्यादा फल खाए और झेले हैं कांटे भी
और हर फल की शक्ल जुदा थी स्वाद एक था
हर कांटे की शक्ल जुदा थी वार एक था
काटों के इस जर्जर तन को नमन करूँ
या एक और फल के इच्छुक इस मन को नमन करूँ
बरसों तक खुद से लड़े हैं फिर भी मैदान मैं खड़े हैं
आप बेशक मुझ से बड़े हैं, आप बेशक मुझ से बड़े हैं!!!
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